उत्तराखंड- उत्तराखंड में बीते कई दिनों से डाक विभाग द्वारा ग्रामीण पोस्ट ऑफिसो में जीडीएस की भर्ती चर्चाओं में हैं।चर्चा यहाँ तक हैं कि जिन डाक सेवकों की तैनाती पहाड़ो के ग्रामीण डाकघरों में हुई है,उन्हें हिंदी लिखनी और जोड़ घटाना भी नहीं आता।और वह उत्तराखंड में डाक सेवक बन गए।यह सिर्फ एक या दो व्यक्ति का मामला नहीं है, ऐसे गजब हाल वाले अभ्यर्थियों की संख्या सैकड़ों में भी हो सकती है।विभाग ने अभ्यर्थियों के ऊपर शिकंजा कसना शुरू कर दिया हैं।
उत्तराखंड के निदेशक डाक सेवाएं अनसूया प्रसाद चमोला ने बताया कि किसी भी गलत अभ्यर्थी का चयन विभाग में नहीं किया जाएगा।शुरुआती जांच में चमोली से तीन और अल्मोड़ा से तीन अभ्यर्थियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है, जिन्होंने फर्जी तरीके से भर्ती में नौकरी हासिल की थी ।सभी अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की भी विभागीय जांच कराई जाएगी।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक विभाग द्वारा अभी तक की गई जांच में छह मामले सामने आए हैं,जिनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।बताया जा रहा हैं कि मामला उठने के बाद अब अन्य अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की भी जांच विभाग कराएगा।ऐसे में फर्जी दस्तावेजों से भर्ती पाने वाले अभ्यर्थियों की जानकारी पाई जाएगी तो उन्हें भी कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
कई जानकारो का मानना हैं कि हरियाणा और पंजाब के युवा महज 10 से 15 हज़ार की अस्थाई सरकारी नौकरी पाने के लिए उत्तराखंड पहुँच रहें हैं,और कई अभ्यर्थियों के दस्तावेज फर्जी मिलने की भी जानकारी सामने आई हैं।ग्रामीण इलाको में ग्रामीणों का रुपयों का लेनदेन पोस्ट ऑफिसो से होता हैं,साथ ही इस बात को भी नजरअंदाज़ नहीं किया जा सकता कि कई बार कर्मचारियों के द्वारा ही सरकारी धन का गबन किया गया हैं।अब ऐसे में फर्जी दस्तावजो से नियुक्ति पाने वाले अभ्यर्थियों के हाथो में ग्रामीणों की जमा पूँजी कितनी सुरक्षित हैं,वह विभाग ही जानें!
कुछ माह पूर्व डाक विभाग की ओर से ब्रांच पोस्ट मास्टर और असिस्टेंट ब्रांच पोस्ट मास्टर के 1200 पदों पर भर्ती निकाली गई थी।मैरिट के आधार पर हुई भर्ती में अधिकतर अभ्यर्थी पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों से चयनित हुए हैं।अब ऐसे में सवाल उठ रहा कि जिन अभ्यर्थियों को हिंदी लिखनी और गणित का जोड़ घटाना भी नहीं आता,आख़िर ऐसे अभ्यर्थियों का डाक विभाग में कैसे चयन हो गया, जबकि उत्तराखंड के कई युवाओं ने भी आवेदन किया था लेकिन उनका नाम मेरिट में आया ही नहीं।
जानकारी ऐसी भी हैं कि डाक सेवक पद के लिए चयनित एक अभ्यर्थी को तो हरियाणा बोर्ड ने 10वीं में हिंदी समेत सभी विषयों में ए++ ग्रेड के नंबर दे दिए।और इसी आधार पर डाक विभाग द्वारा उसका चयन किया गया,जबकि उस अभ्यर्थी को हिंदी के सामान्य शब्द भी लिखने नहीं आते,जोड़ घटाना तो दूर की बात हैं।मामले में उत्तराखंड डाक विभाग के इंस्पेक्टर ने हरियाणा बोर्ड के अधिकारियों से मुलाकात कर मामला जानना चाहा तो बोर्ड के अफसरों ने यह कहकर मामले से पल्ला झाड़ लिया कि छात्र को अकादमिक पृष्ठभूमि के आधार पर नंबर दिए गए हैं।
कुछ दिन पूर्व ही यूपी पुलिस ने मेरठ से डाक विभाग की भर्ती परीक्षा में हुए फर्जीवाड़े का खुलासा किया था।मामले में संलिप्त यूपी एसटीएफ ने गैंग के 13 सदस्यों को गिरफ्तार भी किया था।कयास ऐसे भी लगाएं जा रहा कि इस गैंग के तार उत्तराखंड में चयनित होने वाले अभ्यर्थियों से भी जुड़े हो सकते हैं।दरअसल, इस पद के लिए बनने वाली मेरिट लिस्ट बोर्ड परीक्षा में हाईस्कूल में प्राप्त नंबरों के आधार पर ही बनती है।यही वजह हैं कि उत्तराखंड के युवाओं के नंबर कम होने के चलते उनका नाम मेरिट लिस्ट में नहीं आ पाया।