नैनीताल। शहर के विकास, संरक्षण और भावी योजनाओं को लेकर बनाए जा रहे मास्टर प्लान में बलियानाला सर्वाधिक संवेदनशील मुद्दा रहेगा। देश के नामी संस्थानों और विदेशी विशेषज्ञों के चार दिनी सर्वे और अध्ययनों में यहीं तथ्य सामने आए हैं। अध्ययन में पता चला है कि पहाड़ी पर हर पल हलचल हो रही है। ऐसे में वर्षा के दौरान पहाड़ी पर भूस्खलन की समस्या बनी रहेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में बलियानाला का भूस्खलन शहर के अस्तित्व के लिए बड़ा संकट बन सकता है। इसलिए पहाड़ी का जल्द ट्रीटमेंट बेहद जरूरी है। एडीबी वित्त पोषण से क्लाइमेट रेसिलियेंस सस्टेनेबल डेवलपमेंट फार नैनीताल प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन किया जा रहा है। जिसमें नैनीताल की भावी जरूरतों, समस्याओं और समाधानों का अध्ययन कर मास्टर प्लान तैयार किया जाना है।
जिससे 20 वर्ष बाद शहर आने वाली चुनौतियों से निपटा जा सके।चार दिनों तक देश और विदेशी विशेषज्ञों ने अध्ययनों के बाद बलियानाला में हो रहे भूस्खलन को ही सर्वाधिक संवेदनशील विषय बताया है। टीम के सदस्यों ने बताया कि बलियानाला क्षेत्रीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा है, जिसका सीधा कनेक्शन नैनीताल के अस्तित्व से है। पहाड़ी के कई स्तरों पर कई विशेषज्ञ अध्ययन कर चुके है। मगर हर बार अध्ययनों में नए तथ्य सामने आ रहे हैं। यह तथ्य शहर के लोगों की चिंता बढ़ाने वाले हैं। प्रोजेक्ट में बिजनेस डेवलपमेंट की टीम ने आलूखेत क्षेत्र में लिडार स्केनर स्थापित कर बलियानाला पहाड़ी का अध्ययन किया। टीम विशेषज्ञ हैदर अली ने बताया कि दो दिनों तक स्कैनर से हर आधे घंटे में पहाड़ी का स्कैन लिया गया। जिसमें सामने आया कि पहाड़ी में हर पल हलचल हो रही है।
बिना वर्षा के पहाड़ी से मिट्टी और धूल के कण गिर रहे हैं। वर्षा के पानी का पहाड़ी से रिसाव हुआ तो भविष्य में यह बड़ा खतरा बन सकता है। ऐसे में समय रहते प्रबंधन बेहद जरूरी है। शहर के अन्य क्षेत्रों के साथ ही बलियानाला पहाड़ी में रिस्क मैनेजमेंट सॉल्यूशन इंडिया व नीदरलैंड से पहुंचे विशेषज्ञों ने वाटर क्वालिटी, भूमिगत जल और अन्य पहलुओं का अध्ययन किया। विशेषज्ञ शफीक ने बताया कि पहाड़ी से भारी मात्रा में पानी का रिसाव हो रहा है, जोकि भूमिगत जल प्रतीत हो रहा है। लगातार पानी के रिसाव से पहाड़ी कमजोर हो रही है, जिसका समय रहते प्रबंधन बेहद जरूरी है। शहर के सबसे संवेदनशील मुद्दे को लेकर सरकार गंभीर नहीं दिखती। हर वर्ष पहाड़ी पर भूस्खलन होता है। जिसके ट्रीटमेंट के लिए कई बार सर्वे और अध्ययन हो चुके हैं।
मगर अब तक ट्रीटमेंट शुरू करने को बजट नहीं मिल सका।करीब डेढ़ वर्ष के अध्ययनों के बाद बीते वर्ष दिसंबर में जेंट्स टू कंसल्टेंट कंपनी की ओर से बनाई गई डीपीआर को हाई पावर कमेटी के बाद मुख्य सचिव के समक्ष रखा गया। मुख्य सचिव ने 208 करोड़ के प्रोजेक्ट को वित्तीय स्वीकृति देते हुए जल्द कार्य भी शुरू करने के निर्देश दिए। मगर चार माह गुजरने