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Swarnim Bharat Live > Blog > उत्तराखंड > एक क्लिक में पढ़िए धामी कैबिनेट के महत्वपूर्ण फैसले
उत्तराखंड

एक क्लिक में पढ़िए धामी कैबिनेट के महत्वपूर्ण फैसले

Web Editor
Last updated: 2023/05/03 at 3:03 PM
Web Editor  - Media
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16 Min Read
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देहरादून:कैबिनेट द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय—

अन्य राज्यों की तुलना में उत्तराखण्ड राज्य में सिलिका सैण्ड की रायल्टी अधिक होने एवं इस कारण राज्य में सिलिका सैण्ड के व्यवसाय पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभाव के दृष्टिगत राज्य में सिलिका सैण्ड के व्यवसाय को सुदृढ एवं कारगर किये जाने के निमित्त अन्य राज्यों के अनुरूप रायल्टी दर व अपरिहार्य भाटक की वर्तमान प्रचलित दर को संशोधित किए जाने का निर्णय लिया गया।

 

राज्य की सहकारी क्षेत्र की चीनी मिल बाजपुर (पेराई क्षमता 4000 टी.सी.डी.) की आसवनी में शून्य उत्प्रवाह संयंत्र (जेड.एल.डी.) न होने के कारण केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नई दिल्ली तथा उत्तराखण्ड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड देहरादून के आदेशों के क्रम में बाजपुर चीनी मिल की आसवनी में दिनांक 23 जनवरी 2017 से एल्कोहॉल उत्पादन कार्य पूर्ण रूप से बन्द होने के फलस्वरूप बाजपुर चीनी मिल एवं आसवनी की वित्तीय स्थिति प्रतिकूलतः प्रभावित हो रही है। अतः राज्य की सहकारी क्षेत्र की चीनी मिल बाजपुर की आसवनी को पुनः 25 के०एल०पी०डी० क्षमता पर संचालन के लिये आसवनी के आधुनिकीकरण करते हुए शून्य उत्प्रवाह संयंत्र (जेड.एल.डी.) लगाने, आसवनी में पूर्व स्थापित संयत्रों एवं कुछ अन्य संयत्रों के अनुरक्षण के लिये धनराशि बैंक से ऋण लिये जाने हेतु रू० 29.00 करोड़ की शासकीय प्रत्याभूति उपलब्ध कराये जाने का केबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया है।

राज्य में वित्त, लेखा सम्बन्धी एवं अन्य विषयों पर समस्त विभागों तथा सचिवालय स्तर के कार्मिकों को प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से वित्त विभाग के अधीन पं० दीनदयाल उपाध्याय वित्तीय प्रशासन, प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान, उत्तराखण्ड देहरादून की स्थापना की गयी। साथ ही राज्य के अधिक से अधिक कार्मिकों के कौशल, प्रशासकीय प्रबन्धन एवं योग्यता क्षमता में वृद्धि करना, राज्य में विभिन्न वित्तीय नियमों, मैनुअलों एवं नियमावलियों में स्थापित नियमों की प्रास्थिति का परीक्षण, शोध एवं परिवर्तन की आवश्यकता पर राज्य सरकार को शोधात्मक परामर्श प्रदान करना, उक्त संस्थान का उद्देश्य है। संस्थान के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु विशेषज्ञ के रूप में मानव संसाधन का होना अपरिहार्य होने के दृष्टिगत संस्थान में सृजित पदों के अतिरिक्त पूर्णकालिक व्याख्याता/शोधकर्ता, Learning & Development Expert (Financial Management), Training Coordinator पदों का सृजन किए जाने का निर्णय लिया।

कोषागार विभाग के अन्तर्गत लेखा लिपिक का पद मृत संवर्ग घोषित होने के दृष्टिगत ऐसे नियमति एवं स्थायी अनुसेवक, जिन्होंने इण्टरमीडिएट (कॉमर्स) अथवा समकक्ष परीक्षा अथवा बी०कॉम परीक्षा उत्तीर्ण की हो, अनुसेवक के पद पर 10 वर्ष की निरन्तर सेवा पूर्ण कर ली हो तथा निर्धारित पाठ्क्रम के अनुसार अर्हता परीक्षा उत्तीर्ण कर ली हो, की पदोन्नति हेतु वर्तमान में सृजित कुल सहायक लेखाकार के 326 पदों के सापेक्ष जनपदवार कुल 17 पद आरक्षित किए जाने का निर्णय।

उत्तराखण्ड राज्य के चारधामों एवं श्री हेमकुण्ड साहिब की यात्रा हेतु प्रतिवर्ष लाखों की संख्या मे देशी एवं विदेशी तीर्थयात्री/पर्यटक आते है तथा प्रतिवर्ष यात्रियों की संख्या में निरन्तर हो रही वृद्धि के दृष्टिगत चार धाम यात्रा व्यवस्था को सुचारू रूप से संपन्न करने के उददेश्य से पूर्व से गठित यात्रा प्रशासन संगठन, ऋषिकेश का संगठनात्मक ढांचा अपर्याप्त होने के कारण उक्त संगठन का नाम परिवर्तित करते हुए चारधाम यात्रा प्रबन्धन एवं नियन्त्रण संगठन” (Chardham Yatra Management and Control Organisation) किया गया है। उक्त संगठन के स्थाई कार्यालय हेतु 11 पदों के सृजन की स्वीकृति तथा डाटा एन्ट्री ऑपरेटर, पूछताछ केन्द्र सहायक / सहायक स्वागती, अनुसेवक कार्य हेतु 9 व्यक्तियों की सेवायें आउटसोर्स के माध्यम से लिये जाने का प्रावधान किया गया है। जिसे कैबिनेट द्वारा मंजूरी दी गई।

पशुपालन विभाग के नियमित पशुचिकित्साविदों को फरवरी, 2014 से उन्हें अनुमन्य मूल वेतन (निर्धारित वेतन+ ग्रेड वेतन) के योग के 25 प्रतिशत की दर से प्रैक्टिस बन्दी भत्ता (NPA) दिया जा रहा था। केन्द्रीय सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के क्रम में प्रदेश के विभिन्न वर्गों के कर्मचारियों के लिए गठित वेतन समिति उत्तराखण्ड (2016) द्वारा दिये गये प्रतिवेदन / संस्तुतियों में पशुपालन विभाग के चिकित्सकों को प्रैक्टिस बन्दी भत्ता के सम्बन्ध में कोई उल्लेख न होने के कारण पशुपालन विभाग के पशुचिकित्साधिकारियों को प्रैक्टिस बन्दी भत्ता (NPA) दिया जाना रोक दिया गया था। पुनः प्रकरण वित्तीय नियम समिति को सन्दर्भित किया गया। वित्तीय नियम समिति द्वारा एलोपैथिक चिकित्सकों की भाँति राज्य पशुपालन विभाग के पशुचिकित्साविदों को 20 प्रतिशत प्रैक्टिस बन्दी भत्ता (NPA) अनुमन्य किये जाने की संस्तुति की गयी है। जिसके क्रम में मा0 मंत्रिमण्डल द्वारा पशुपालन विभाग के चिकित्साविदों को 20 प्रतिशत प्रैक्टिस बन्दी भत्ता (NPA) अनुमन्य किये जाने का निर्णय लिया गया है। इससे लगभग 400 पशुचिकित्साविद् लाभान्वित होंगे।

उत्तराखण्ड राज्य में वनाग्नि की घटनाओं हेतु चीड़ के वनों में पिरूल भी एक मुख्य कारण है । वनाग्नि सत्र 2023 में चीड़-पिरूल स्थानीय स्तर पर एकत्रीकरण करके व्यापक स्तर पर ब्रिकेट / पैलेट्स बनाये जाने की व्यवस्था विभाग स्तर से की जानी प्रस्तावित है। चीड़-पिरूल से घटित होने वाली वनाग्नि के रोकथाम हेतु एवं पिरूल एकत्रित करने के लिये क्षेत्रवासियों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किसी व्यक्ति विशेष द्वारा मान्यता प्राप्त संस्था यथा-वन पंचायत, स्वयं सहायता समूह एवं युवक मंगल दल आदि के माध्यम से वन क्षेत्रों में पिरूल को एकत्रित कर स्थाई रूप से निष्कासित करने पर विभाग द्वारा उस व्यक्ति को संस्था के माध्यम से राज्य सैक्टर की संगत योजनाओं अथवा कैम्पा के अन्तर्गत उपलब्ध धनराशि से रू0 2.00 प्रति किलोग्राम की दर से भुगतान किये जाने की स्वीकृति शासनादेश संख्या-2198 / X-2-2019-21 (9) 2015 दिनांक 05 नवम्बर, 2020 के द्वारा प्रदान की गयी थी। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में राज्य में चीड़-पिरूल एकत्रीकरण दर को आजीविका में वृद्धि के दृष्टिगत रू 2.00 प्रति किलोग्राम के स्थान पर रू0 3.00 प्रति किलोग्राम पुनरीक्षित किए जाने का निर्णय लिया गया।

उत्तराखण्ड राज्य में पशुधन हेतु वर्षभर हरे एवं सूखे चारे की उपलब्धता व पशुधन उत्पाद में वृद्धि के साथ महिलाओं के कार्यबोझ को कम करने के लिए उत्तराखण्ड चारा नीति प्रस्तावित की जा रही है। वर्तमान में आवश्यकता के सापेक्ष हरे चारे में 31 प्रतिशत तथा सूखे घारे में 17 प्रतिशत की कमी है। चारे की कमी की पूर्ति मुख्यत पंजाब एवं हरियाणा से आने वाले गेहूं के भूसे से की जाती है। भौगोलिक संरचना के कारण प्रदेश आपदा संभावित क्षेत्र है, जिसके कारण भी चारे की उपलब्धता बाधित होती रहती है। चारा नीति के क्रियान्वयन हेतु पशुपालन विभाग, सहकारिता विभाग, दुग्ध विकास विभाग तथा अन्य स्रोतों यथा REAP इत्यादि के समन्वय से कार्य सम्पादित किये जायेंगे तथा योजना में धनराशि की व्यवस्था राज्य अंश के अतिरिक्त भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं तथा अन्य योजनाओं के माध्यम से की जायेगी। राज्य में हरे चारे की पर्याप्त उपलब्धता हेतु पशुपालकों को 13300 उन्नत किस्म के चारा बीज वितरण कर हरा चारा उत्पादन वृद्धि, वर्तमान साइलेज निर्माण क्षमता से 25 हजार मी० टन वृद्धि, पशुपालकों को चैफ कटर वितरण तथा सिल्वीपाश्चर को बढ़ावा दिया जाना प्रस्तावित है। प्रथम वर्ष में 53400 मी० टन सूखा चारा तथा 1125300 मी० टन हरा चारा मध्यावधि (01 से 03 वर्ष) में 20 हजार मी० टन सूखा चारा तथा 19 हजार मी० टन हरा चारा तथा दीर्घावधि (03 से 05 वर्ष) 01 लाख टन हरा चारा उत्पादन की वृद्धि होगी । उत्तराखण्ड चारा नीति, 2023-28 लागू होने पर चारे की कुल 31 प्रतिशत कमी में से 2352 प्रतिशत की कमी दूर हो जायेगी। वर्तमान मे राज्य सूखे चारे की उपलब्धता में वृद्धि के लिये एफ०पी०ओ० की स्थापना कर दुग्ध उत्पादक समिति के सदस्यों से अतिरिक्त 5 हजार मी०टन फसल अवशेष कय भूसे का सुगम परिवहन के लिये समीपवती भूसा आधिक्य राज्य हरियाणा अथवा पंजाब में सार्वजनिक, सहकारी तथा निजी क्षेत्र की सहायता से एक 20000 मी० टन की सघनीकृत भूसा इकाई की स्थापना किया जाना प्रस्तावित है। राज्य में भूसा भंडारण क्षमता में वृद्धि हेतु विभिन्न माध्यमों से 10 भूसा भंडारण गृह का निर्माण तथा राज्य में स्थापित चारा बैंकों में कॉम्पेक्ट फीड ब्लाक के अतिरिक्त साइलेज के भण्डारण क्षमता में वृद्धि किया जाना प्रस्तावित है। कुल प्रस्तावित व्यय रू0 13655.00 लाख में से JICA-NPDD से रू 2367.00 लाख REAP से रू० 225500 लाख नाबार्ड मे रू 2000.00 लाख: तथा राज्य सैक्टर से रू 6683.60 लाख का व्यय उक्त योजनाओं के माध्यम से किया जायेगा। राज्य सैक्टर में रू0 3110.00 लाख की योजनायें पूर्व से ही मतिमान है। इस प्रकार उत्तराखण्ड बारा नीति, 2023 – 28 में राज्य सेक्टर रू0 3573.00 लाख की अतिरिक्त आवश्यकता होगी। चारा नीति में प्राकृतिक आपदा एवं आकस्मिकता की स्थिति में प्रदेश में चारे की निर्वाध आपूर्ति हेतु कॉर्पस फण्ड / परिक्रानी निधि की स्थापना हेतु उत्तराखंड चारा नीति 2023- 28 को मंजूरी।

मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड सरकार के कुशल नेतृत्व एवं पशुपालन मंत्री, उत्तराखण्ड के योग्य निर्देशन में उत्तराखण्ड सरकार के द्वारा स्थानीय युवाओं, विशेषकर महिलाओं हेतु उद्यमिता विकास द्वारा प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन के लिये एवं सभी पशुपालको के समग्र विकास हेतु केबिनेट द्वारा मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड राज्य पशुवन मिशन (CMUSLM) को प्रारम्भ करने का निर्णय लिया है। इसके द्वारा न केवल युवाओं के लिये रोजगार सृजन होगा, अपितु ये योजनायें भूमिहीन एवं सीमांत गरीब किसानों के लिये जीविकोपार्जन के साधन उपलब्ध कराकर प्रतिलोमीप्रवास (रिवर्स माइग्रेशन) में सहायक सिद्ध होगी।

वर्तमान में उत्तराखण्ड युवा कल्याण एवं प्रान्तीय रक्षक दल विभाग के अंतर्गत प्रांतीय रक्षक दल के स्वयंसेवकों के कार्यों के विनियमन हेतु राज्य में संयुक्त प्रान्तीय रक्षक दल अधिनियम, 1948 प्रचलित है। उत्तराखण्ड राज्य के परिप्रेक्ष्य में वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप प्रांतीय रक्षक दल के कार्यों में शान्ति सुरक्षा के साथ-साथ सरकारी व अर्द्धसरकारी अधिष्ठानों के अन्तर्गत विभिन्न प्रयोजनों के लिये आवश्यकतानुसार स्वयंसेवक के रूप में सहयोग प्राप्त किये जाने हेतु कतिपय अंशों को परिवर्तित एवं निष्प्रयोज्य धाराओं को हटाये जाने हेतु तथा पी०आर०डी० स्वयंसेवकों की मांग एवं कार्य के सापेक्ष उनके लिये अवकाश आदि की व्यवस्था किये जाने हेतु संयुक्त प्रान्तीय रक्षक दल अधिनियम, 1948 में संशोधन करते हुये उत्तराखण्ड रक्षक दल (संशोधन) अध्यादेश, 2023 प्रख्याजित किए जाने का निर्णय।

केबिनेट द्वारा स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर इम्पावरिंग एण्ड ट्रांसफॉरमिंग (सेतु) का संगठनात्मक ढांचा गठन के संबंध में लिया गया निर्णय। इसके अंतर्गत नीति आयोग की भांति राज्य में नीति नियोजन से संबंधित संस्थान स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर इम्पावरिंग एण्ड ट्रांसफॉरमिंग (सेतु) आयोग का गठन किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत नागरिकों के विकास एवं कल्याण हेतु सामाजिक और व्यक्तिगत आकांक्षाओं की पूर्ति हेतु विषय निर्धारित करना तथा उस पर सक्रिय रहते नागरिकों की आवश्यकतानुसार कार्य करना । राज्य के चहुमुखी विकास हेतु नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करना । राज्य के युवाओं के लिए अवसरों की समानता सुनिश्चित कराना। पर्यावरण को बचाते हुए सतत् विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति करना। सरकार को प्रत्यक्ष और उत्तरदायी बनाने के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग कर पारदर्शिता सुनिश्चित करना शामिल है। इसमें राज्य के संसाधनों के कुशल और प्रभावी उपयोग के लिये अभिसरण, समन्वय, सामुदायिक भागीदारी और नेटवर्किंग का उपयोग तथा राज्य के संसाधनों के कुशल और प्रभावी उपयोग के लिये अभिसरण, समन्वय, सामुदायिक भागीदारी और नेटवर्किंग का बेहतर तरीके से उपयोग हो सकेगा।

केबिनेट द्वारा मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन एवं वैश्विक रोजगार योजना को दी गई मंजूरी। जिसके अन्तर्गत विदेश रोजगार हेतु युवाओं को Domain क्षेत्र में कौशल उन्नयन प्रशिक्षण के साथ-साथ सम्बन्धित देश के Language, Culture, Work Ethics, आदि के बारे में प्रशिक्षण भारत सरकार द्वारा Empanelled संस्थाओं के माध्यम से दिये जाने हेतु दिशा-निर्देश को मंत्रिमण्डल द्वारा अनुमोदित किया गया है। उक्त योजना में राज्य सरकार द्वारा समस्त प्रशिक्षण पर होने वाले व्यय का 20 प्रतिशत वहन किया जायेगा। अभ्यर्थी द्वारा शेष प्रशिक्षण धनराशि हेतु बैंक से लोन लिये जाने पर उक्त ऋण पर देय ब्याज का अधिकतम 75 प्रतिशत भार राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। संस्था द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम की फीस को इस प्रकार निर्धारित किया जायेगा कि अभ्यर्थी के सेवायोजित होने से पूर्व 30 प्रतिशत की धनराशि देय होगी। प्रथम चरण में विभाग द्वारा Nursing एवं Hospitality के क्षेत्र में विदेश में उपलब्ध रोजगार के अवसरों से राज्य के युवाओं को जोड़े जाने हेतु प्रयास किये जाएगें।

उत्तराखण्ड में मानव वन्यजीव संघर्ष निवारण प्रकोष्ठ की स्थापना एवं उत्तराखण्ड में मानव वन्यजीव संघर्ष निवारण निधि की स्थापना को केबिनेट ने दी मंजूरी। राज्य में मानव एवं वन्यजीवों के मध्य होने वाली घटनाओं का वैज्ञानिक विश्लेषण किये जाने हेतु मानव वन्यजीव प्रकोष्ठ की स्थापना की जानी प्रस्तावित है, जिसमें प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) / मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के कार्यालय सहयोग हेतु 01 वन क्षेत्राधिकारी अथवा समकक्ष उप वन क्षेत्राधिकारी (विभागीय तैनाती के माध्यम से), 01 पद जी०आई०एस० विशेषज्ञ एवं 02 पद विशेषज्ञ – जे०आर०एफ / एस०आर०एफ० बाह्य स्रोत अनुबंध के आधार रखे जाने का प्रस्ताव है। मानव वन्यजीव संघर्ष के प्रकरण में मृत किसी व्यक्ति के परिजनों अथवा घायल किसी व्यक्ति एवं उनके परिजनों को मौके की परिस्थिति के अनुसार कोई आकस्मिक एवं तात्कालिक सहयोग किये जाने एवं वन्यजीवों के डी०एन०ए० जांच एवं अन्य चिकित्सीय जांच आदि तथा मानव वन्यजीव संघर्ष के अन्तर्गत पकड़े गये वन्यजीवों को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने इत्यादि हेतु मानव वन्यजीव संघर्ष निवारण निधि की स्थापना किया जाना प्रस्तावित है। उक्त निधि हेतु प्रत्येक वर्ष राज्य सरकार द्वारा 02.00 करोड़ रूपये तक की धनराशि उपलब्ध करायी जायेगी। इस धनराशि में राज्य सरकार द्वारा अपने विवेकानुसार कमी एवं वृद्धि की जा सकेगी। यह धनराशि नॉन लेप्सेबल धनराशि उपयोग हेतु बनी रहेगी। उक्तानुसार इस कोष का स्वरूप सतत् होगा।

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Web Editor May 3, 2023
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