बच्चों के दांतों में आसानी से कीड़ा लग जाता है। अगर इस ओर ध्यान न दिया जाए तो बच्चों के दांत खराब हो सकते हैं,अभिभावकों को शिशु के जन्म के बाद से ही उसकी क्लीनिंग रूटीन शुरू कर देनी चाहिए। तीन साल की उम्र तक बच्चे के सारे दांत आ जाते हैं। जैसे दांत निकलें, वैस ही ब्रश करना शुरू कर देना चाहिए।
हालांकि, बच्चे के लिए टूथपेस्ट चुनते समय आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बड़ों के टूथपेस्ट से बच्चों का टूथपेस्ट अलग होता है, क्योंकि बच्चों के पेस्ट में व्हाइटनिंग एजेंट्स और सख्त केमिकल्स नहीं होते हैं, जो उनके दांतों के एनेमल को खराब कर सकें।
बच्चों के लिए मटर के दाने के आकार जितना टूथपेस्ट पर्याप्त होता है। तीन साल से छोटे बच्चों को फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट नहीं कराना चाहिए। क्योंकि बच्चे टूथपेस्ट को पूरी तरह थूकते नहीं, बल्कि ज्यादातर गटक लेते हैं। टूथपेस्ट गटक लेने की यही आदत उन पर भारी पड़ती है।
शरीर में ज्यादा मात्रा में फ्लोराइड पहुंचना उन्हें नुकसान पहुंचाता है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि बच्चों के लिए बिना फ्लोराइड वाले टूथपेस्ट लाएं या बहुत सीमित मात्रा में टूथपेस्ट का प्रयोग करें। अगर बच्चे ने आवश्यकता से अधिक मात्रा में पेस्ट निगल लिया हो तो तत्काल चिकित्सकीय परामर्श लें।